त्रिपिंडी श्रद्धो

त्रिपिंडी श्रद्धो

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त्रिपिंडी श्राद्ध एक विशेष वैदिक अनुष्ठान है जो तीन पीढ़ियों के पितरों – पिता, पितामह (दादा), और प्रपितामह (परदादा) – की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए किया जाता है। यह श्राद्ध कर्म विशेष रूप से उन परिवारों में किया जाता है जहाँ पूर्वजों का विधिवत पिंडदान या श्राद्ध नहीं हो पाया हो, या जिनके कारण पितृ दोष उत्पन्न हो गया हो। गया धाम इस अनुष्ठान के लिए अत्यंत पवित्र और उपयुक्त स्थल माना जाता है।

"त्रिपिंडी" शब्द का अर्थ है तीन पिंडों का अर्पण। इस श्राद्ध में श्रद्धालु चावल, जौ, तिल आदि से बने तीन पिंडों को पवित्र नदी या स्थान पर ब्राह्मणों की सहायता से विधिपूर्वक अर्पित करते हैं। यह प्रक्रिया वैदिक मंत्रों और नियमों के साथ सम्पन्न होती है, जिससे तीनों पीढ़ियों के पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उन्हें स्वर्ग या मोक्ष की प्राप्ति होती है।

त्रिपिंडी श्राद्ध केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि आत्मिक और पारिवारिक शुद्धि का माध्यम भी है। इससे परिवार में शांति, सुख और समृद्धि का आगमन होता है। यह कर्मकांड पूर्वजों के प्रति हमारी श्रद्धा और कृतज्ञता का सुंदर प्रतीक है।

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