पितृ दोष निवारण

पितृ दोष निवारण

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पितृ दोष निवारण हिन्दू धर्म की दृष्टि से एक अत्यंत महत्वपूर्ण और आवश्यक उपाय है, जो उन लोगों के लिए किया जाता है जिनके जन्मकुंडली में पितृ दोष होता है। पितृ दोष का अर्थ होता है – पूर्वजों की आत्मा की अशांति या अतृप्ति, जिसके कारण परिवार में विभिन्न प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जैसे संतान सुख में बाधा, विवाह में विलंब, आर्थिक संकट, रोग, मानसिक तनाव आदि।

पितृ दोष तब उत्पन्न होता है जब पूर्वजों का विधिपूर्वक श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान नहीं किया जाता, या उनकी मृत्यु किसी विशेष कारणवश अशुभ मानी जाती है। इस दोष के निवारण के लिए गया धाम को सबसे उपयुक्त स्थान माना गया है, जहाँ पर पिंडदान, नारायण बलि, और त्रिपिंडी श्राद्ध जैसे विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।

पितृ दोष निवारण के दौरान ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रों के साथ विशेष पूजा, हवन और पिंडदान किया जाता है, जिससे पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस निवारण के बाद व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन, मानसिक शांति और सुख-समृद्धि आने लगती है। यह अनुष्ठान पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कर्तव्य भावना का प्रतीक है।

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