नारायण बलि श्राद्ध एक विशेष वैदिक अनुष्ठान है, जो उन आत्माओं की शांति के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु अकाल, दुर्घटना, आत्महत्या या असमय परिस्थितियों में हुई हो। यह श्राद्ध कर्म विशेष रूप से गया धाम में किया जाता है और इसका उद्देश्य आत्मा को मुक्ति दिलाना और उसकी व्यथा का निवारण करना होता है। जब किसी आत्मा की मृत्यु के बाद उसका विधिपूर्वक अंतिम संस्कार या श्राद्ध नहीं किया गया होता है, तब वह प्रेत रूप में भटकने लगती है और परिवार में बाधाएँ उत्पन्न कर सकती है। ऐसे में नारायण बलि श्राद्ध एक अत्यंत प्रभावशाली उपाय माना जाता है।
इस कर्म में पिंडदान, तर्पण, हवन और विशेष मंत्रों का उच्चारण कर नारायण स्वरूप में बलि दी जाती है, जिससे पितरों की आत्मा संतुष्ट होकर परमगति को प्राप्त करती है। यह अनुष्ठान ब्राह्मण पुरोहित की देखरेख में तीन दिन तक चलता है।
नारायण बलि श्राद्ध केवल आत्मा की मुक्ति ही नहीं देता, बल्कि परिवार में सुख-शांति, संतान सुख, और मानसिक शांति भी लाता है। गया धाम में विधिपूर्वक नारायण बलि कराना अत्यंत शुभ और कल्याणकारी माना गया है। यह कर्म श्रद्धा, शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है।
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